श्री नितिन सलूजा

उन्होंने पाया कि भारत मुख्य रूप से एक चाय पीने वाला देश था। जो हर एक कप कॉफी के लिए 30 कप चाय खर्च करता था। उसी दौरान उन्होंने पाया कि कॉफी के लिए 1500 से अधिक कैफ़े मौजूद थे। जबकि चाय के लिए एक भी कैफ़े नहीं था| आज देश में उपयोग की जाने वाली चाय के मूल्य का अनुमान लगभग 1 ट्रिलियन रुपए लगाया जा सकता है। फिर भी इसमें से अधिकतर अनुपयोगी और मैली थी। जो ग्राहक खोज रहे थे वह चाय उन्हें नहीं मिल पा रही थी। यह एक ऐसा विचार था जिसके लिए मैं आया था। इस मौके के बड़े आकार को देखते हुए लग रहा था कि यह कोई आसान काम नहीं है। क्योंकि इसके लिए एक नई श्रेणी के निर्माण की आवश्यकता थी। घरों के बाहर चाय को मंजूरी देना एक मुश्किल काम था। उपभोक्ताओं की पसंद का पता लगाने के लिए 2 साल तक लगातार जाँच चलती रही। जिसमें जमीनी तौर पर लोगों का सर्वेक्षण शामिल था। आज चायोस 6 शहरों ( दिल्ली, मुंबई, गुरुग्राम, निदा, ग़ाज़ियाबाद, चंड़ीगढ़) में 53 कैफ़े संचालित करता है। प्रमोटर्स को मार्च तक कुल 70 आउटलेट होने का भरोसा है। उनका ध्यान "मेरी वाली चाय" परोसने पर है। चाय बिल्कुल उनके ग्राहकों की पसंद के अनुसार बनाई जाती है। जैसे वे अपना आर्डर देते हैं, चाहे वह अदरक तुलसी कड़क चाय हो या पानी कम इलायची दालचीनी चाय।

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